एनएमसी विधेयक के खिलाफ आठ अगस्त को देशव्‍यापी हड़ताल

एनएमसी विधेयक के खिलाफ आठ अगस्त को देशव्‍यापी हड़ताल

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक के कुछ प्रावधानों के खिलाफ देश भर के चिकित्सा संस्थानों में आठ अगस्त को हड़ताल का आह्वान किया है। आईएमए ने कहा कि एनएमसी विधेयक में चिकित्सा जगत की मुख्य चिंताओं का समाधान नहीं किया गया है।

एसोसिएशन के अनुसार ‘यह आह्वान सभी आधुनिक मेडिसिन चिकित्सकों के लिए है कि वे सभी सेक्टर में हर स्तर पर अपने कार्य स्थल को आठ अगस्त को सुबह छह बजे से अगले दिन सुबह छह बजे तक के लिए छोड़ दें।’ मेडिकल के छात्र आईएमए मेडिकल स्टूडेंट्स नेटवर्क के तहत देशभर में हड़ताल जारी रखेंगे।

आईएमए मुख्यालय में सोमवार को विस्तारित कार्य समिति की आपात बैठक में यह निर्णय किया गया। चिकित्सकों के निकाय ने अपनी स्थानीय शाखाओं में प्रदर्शन और भूख हड़ताल करने की भी अपील की है। साथ ही मेडिकल छात्रों से अपील की गयी है कि वे कक्षाओं का बहिष्कार करें और आईएमए के साथ एकजुटता दिखाएं।

एम्स छात्र संघ के सदस्यों ने सोमवार को संस्थान के बाहर प्रदर्शन किया और सभी शैक्षणिक गतिविधियों का बहिष्कार किया। एम्स छात्र संघ ने बयान जारी कर कहा, ‘एनएमसी विधेयक में इसके वर्तमान प्रारूप में कुछ प्रावधान हैं जिन्हें कानून का रूप दिए जाने से पहले संशोधित करने की जरूरत है। सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा नेक्सट की अनिश्चितता और सामुदायिक स्वास्थ्य चिकित्सकों के विनियमन तथा सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं का अत्यधिक केंद्रीकरण किया जाना है। ये मुद्दे चिकित्सा जगत और इसके छात्र दोनों को प्रभावित करते हैं साथ ही इससे जनता भी प्रभावित होती है।’ 

एम्‍स छात्र संघ के अनुसार ‘छात्रों ने खराब तरीके से तैयार किए गए एनएमसी विधेयक के खिलाफ सभी शैक्षणिक गतिविधियों का बहिष्कार करने और प्रदर्शन करने का निर्णय किया है।’

एम्स और सफदरजंग अस्पताल के रेजिडेंट्स चिकित्सकों ने रविवार को अपनी हड़ताल खत्म कर दी थी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन के इस आश्वासन के बाद काम पर लौट गए थे कि एनएमसी विधेयक को लेकर उनकी चिंताओं का समाधान किया जाएगा।

विधेयक के पिछले हफ्ते राज्यसभा में पारित होने के बाद से इसके कुछ प्रावधानों के खिलाफ चिकित्सक प्रदर्शन कर रहे हैं। आईएमए ने कहा, ‘एनएमसी विधेयक 2019 वर्तमान प्रारूप में चिकित्सक बिरादरी के लिए अस्वीकार्य है। कम्युनिटी स्वास्थ्य प्रदाता हजारों गरीब ग्रामीण रोगियों के लिए सीधा खतरा हैं। देश का स्वास्थ्य क्षेत्र खतरे में है। हम मांग करते हैं कि भारत सरकार आधुनिक चिकित्सकों से सार्थक वार्ता करे और समस्या का त्वरित समाधान करे।’ 

एनएमसी विधेयक में एमसीआई के स्थान पर राष्ट्रीय मेडिकल आयोग के गठन का प्रावधान है ताकि चिकित्सा शिक्षा, पेशा और संस्थानों के सभी पहलुओं का विकास और विनियमन किया जा सके। चिकित्सक विधेयक में कुछ संशोधन चाहते हैं। उनके मुताबिक अगर इनमें संशोधन नहीं हुए तो विधेयक से चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं पतन की ओर जाएंगी।

चिकित्सक विधेयक की धाराओं 32 (1), (2) और तीन का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे नीम-हकीमों का उत्साह बढ़ेगा। चिकित्सकों ने कहा कि नेक्स्ट को लागू करने और नीट-पीजी को खत्म करने पर कोई स्पष्टता नहीं है।

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